वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का है। इस प्रतिस्पर्धा, चुनौतीपूर्ण परंतु बेहद संभावना से परिपूर्ण समय में ज्ञान को सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्वीकारा जाता है जो आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक विकास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय संस्कृति में ज्ञान को मनुष्य का तीसरा नेत्र कहा गया है-
“ज्ञानं तृतीयं मनुजस्य नेत्रम”
ज्ञानवान, कौशलवान व संस्कारवान मानव संसाधन किसी भी राष्ट्र की सर्वोत्तम पूंजी है। शिक्षा की प्रक्रिया इस पूंजी को समयानुकुल बनाकर नवीन पीढ़ी को ज्ञान, कौशल व मानवीय मूल्यों से संयुक्त करके गतिशीलता के साथ उसे चिर स्थायित्व प्रदान करती है।
शिक्षा राष्ट्रीय जीवन का ऐसा क्षेत्र है जो बहुत सजीव और संवेदनशील होने के साथ-साथ निरंतर प्रगतिशील भी है। परिवर्तनशील व युगानुरूप शिक्षा प्रणाली ही राष्ट्रीय व वैश्विक विकास की धारा को गति प्रदान करती है। वर्तमान शताब्दी में विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति ने जीवन के सभी क्षेत्रों के समान शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति उत्पन्न की है वह अकल्पनीय है। तकनीकी ज्ञान व शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग वर्तमान वैश्विक महामारीमें अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। ज्ञान के विविध संदर्भ तकनीकी के माध्यम से आज सर्वसुलभ हैं। इनसे छात्र समुदाय को परिचित कराकर आवश्यकतानुसार प्रयोग हेतु प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है।
छात्रों के जीवन में माध्यमिक स्तर की शिक्षा का प्रमुख स्थान है। प्रारंभिक स्तर पर प्राप्त शैक्षिक अनुभवों को सुदृढ़ता प्रदान करने के साथ-साथ यह छात्रों के भावी जीवन की तैयारी की दृष्टि से अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय होता है। अतः ऐसे समय में हमें युगानुरूप परिवर्तनों को आत्मसात करने के साथ-साथ अपने गौरवशाली अतीत, सांस्कृतिक धरोहरों तथा विश्वमान्य नैतिक मूल्यों को अपनाकर स्वावलंबी, समर्थ व समृद्ध राष्ट्र के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है।
हम सभी विविध संदर्भों से सीखते हैं। वर्तमान वैज्ञानिक युग में पाठ्यपुस्तकों व औपचारिक कक्षा-शिक्षण के अतिरिक्त ज्ञानार्जन के अनेकानेक संसाधन व स्रोत (टी0वी0, समाचार पत्र-पत्रिकाएं, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट, सोशल साइट्स आदि) उपलब्ध है। छात्रों के ज्ञान व अनुभावों को पुष्ट व समृद्ध बनाने में इन संसाधनों के अधिकाधिक परंतु विवेकपूर्ण प्रयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में मंडल कार्यालय सतत प्रयासरतहै। इसी एतदर्थ संयुक्त शिक्षा निदेशक, चतुर्थ मंडल (प्रयागराज) कार्यालय को ऑनलाइन करते हुए हमारा यह प्रयास है कि हम अपने अधीनस्थ कार्यालयों, विद्यालयों से सदैव जुड़े रहकर विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण, सरल व रोचक पाठ्यसामग्री उपलब्ध करा सकें और जिसका प्रयोग वे अपने समय व सुविधानुसार करते हुए अपनी जिज्ञासाओं का समाधान कर सके। इसके साथ ही सामाजिक सरोकारों व विविध समसामयिक प्रसंगों के प्रति छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों व शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को संवेदनशील, जागरूक व जिम्मेदार बनाया जा सकेगा।
गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा शासन का मुख्य लक्ष्य व संकल्प है। शासकीय लक्ष्यों और संकल्पों को अपने अहर्निश प्रयासों से पूर्ण मूर्तिमान करना ही हमारा कर्तव्य है। राष्ट्र निर्माण के पुनीत कार्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था में अंतर्मन से अपनी पूर्ण सहभागिता हेतु हम संकल्पवान होकर अनवरत प्रयत्नशील रहे, यही हम सभी का दायित्व है और यही हमारा एकमेव लक्ष्य है।